Friday, April 7, 2023

अमरीका में जातिगत भेदभाव पर बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरे भारतवंशी

अमरीका के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य कैलिफोर्निया में भारतीय समुदाय जातिगत भेदभाव को रोकने वाले एक विधेयक को लेकर सड़क पर आ गया है। बुधवार को सैकड़ों भारतवंशियों ने उस विवादित बिल को लाने वाली सीनेटर के विरोध में रैली निकाली जिसने कैलिफोर्निया की सीनेट में यह बिल एसबी-403 रखा है। अफगानी मूल की स्टेट सीनेटर आइशा वहाब ने 22 मार्च का यह विधेयक पेश किया था। विधेयक पारित होने पर अमरीका का कैलिफोर्निया राज्य जाति-आधारित भेदभाव को कानूनी रूप से प्रतिबंधित करने वाला देश का पहला राज्य बन सकता है। विधेयक के विरोध में सड़क उतरे भारतीय अमरीकियों का कहना है कि यह विधेयक उस जातिगत पहचान और भेदभाव को ही बढ़ाने का काम करेगा जिसके मिटाने का दावा यह बिल कर रहा है।

जाति को संहिताबद्ध किए जाने का खतरा
विरोध कर रहे भारताय समुदाय का कहना है कि बिल के कानून बनने के बाद अमरीका और विशेष रूप से कैलिफोर्निया में बसे भारतीय समुदाय की जातिगत पहचान को रेखांकित किया जाएगा। हर भारतीय की जाति को संहिताबद्ध किया जाएगा और अमरीका में भारतीयों को जातिवादी के रूप में देखे जाने से उनके प्रति हेट क्राइम (हिंदूफोबिया) बढ़ेगा, जो कि पहले ही बढ़ते दिख रहा है।


हिंदू मोर्चे ने किया विरोध

अमरीका के कोलिशन ऑफ हिंदूस ऑफ नॉर्थ अमेरिका (सीओएचएनए) ने इस नए कानून के विरोध में मोर्चा खोल दिया है। संगठन द्वारा इस बिल के विरोध में स्टेट सीनेटर आइशा वहाब के ऑफिस के बाहर नए बिल के खिलाफ शांति पूर्ण प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों के हाथ में पोस्टर और बैनर थे। इन पर लिखा हुआ था कि एसबी-403 जाति को संरक्षित श्रेणी में रखना चाहता है।


एसबी-403 बिल पर अमरीका में रार

I. विरोध में तर्क

1. सभी के लिए समानता और न्याय के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ है, चाहे उनकी जाति, धर्म और वंश कुछ भी हो। इससे हिंदुओं, एशियाई समुदाय को अमरीकी कानूनों का समान संरक्षण नहीं मिलेगा
2. अप्रमाणिक और पक्षपाती आंकड़ों के आधार पर बिल हिंदुओं को अलग श्रेणी बनाकर उनके हिंदू होने को ही उनका दोष मानता है
3. बिल हिंदुओं की जातिवादी, दमनकारी छवि को गढ़ता है और उनके गैर-जरूरी अतीत को उनकी पहचान पर थोपता है।

II. पक्ष में तर्क
हम सभी संगठन और कंपनियों के सामने यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जाति के आधार पर भेदभाव कानून के खिलाफ है। जातिगत भेदभाव धर्म और राष्ट्रीयता से परे है। यह कानून मुख्य रूप से उन लाखों लोगों की रक्षा करता है जो किसी वजह से मौन रहते हैं और जिन्हें इस तरह की सुरक्षा कभी नहीं मिली। यह बिल कमजोर लोगों की सुरक्षा के बारे में है। यह ऐतिहासिक विधेयक श्रमिकों, महिलाओं, समलैंगिक अधिकारों और नागरिक अधिकारों के बारे में है। - कैलिफोर्निया स्टेट सीनेटर आइशा वहाब


सिएटल शहर में बन चुका है जाति विरोधी कानून
अब से करीब एक माह पहले अमरीका का सिएटल शहर जाति आधारित भेदभाव को प्रतिबंधित करने वाला पहला शहर बन गया था। भारतीय-अमरीकी नेता एवं अर्थशास्त्री क्षमा सावंत ने सिएटल सिटी काउंसिल में यह बिल पेश किया था, जो एक के मुकाबले छह मतों से पारित हो गया था।

ये कोई मुद्दा नहीं
मेरे पूरे जीवन में जो पहचान कभी कोई मुद्दा ही नहीं रही, मेरे बच्चे जिस पहचान को समझते ही नहीं, अमरीका अब वही पहचान हमारे ऊपर थोप रहा है।
- बिल का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों का मत

अमरीका में जाति भेद

जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई सभी प्रकार के उत्पीड़न से जुड़ी हुई है। भले ही अमरीका में जातिगत भेदभाव स्पष्ट नहीं दिखता, पर यह एक सच्चाई है। हमें इस लड़ाई को आगे बढ़ाना होगा।
- क्षमा सावंत, सिएटल में जातिगत भेदभाव विरोध कानून पेश करने वालीं पार्षद

अमरीका में 42 लाख से अधिक भारतवंशी

2018 अमरीका के सामुदायिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार अमरीका में भारतीय मूल के 42 लाख लोग रहते हैं और ये अमरीका का दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है।



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