Tuesday, April 11, 2023

कूटनीतिः नहीं बनेंगे अमरीका का पिछलग्गू, चीन से लौटते बोले फ्रांसीसी राष्ट्रपति

पेरिस. बीजिंग. चीन यात्रा से लौटे फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के सुर बदले दिख रहे हैं। मैक्रों ने एक तरफ यूरोप को अमरीका पर अपनी निर्भरता घटाने की सलाह दी है तो दूसरी तरफ उन्होंने कहा है कि यूरोपीय देशों को ताइवान मुद्दे पर चीन और अमरीका के बीच नहीं आना चाहिए। मीडिया से बात करते हुए मैक्रों ने कहा है कि, विडंबना ये है कि यूरोप अपने को अमरीका का पिछलग्गू मानता है।
यूरोप के लोगों को इस सवाल का जवाब ढूंढना चाहिए क्या ताइवान में तनाव बढ़ना उनके हित में है? नहीं। सबसे खराब तो ये होगा कि हम यूरोपीय लोग इस मुद्दे पर अमरीका की तरह सोचें और हम अमरीकी एजेंडे और इस पर चीन की अतिप्रतिक्रिया को देख कर अपने कदम उठाएं। किसी और की राह देखकर हमें अपनी राह क्यों तय करना चाहिए? मैक्रों इसे रणनीतिक स्वायत्ता का नाम देते हैं। जानकारों के अनुसार, मैक्रों चाहते हैं कि यूरोप एक 'तीसरे सुपरपावर' की तरह उभरे, जिसका नेतृत्व फ्रांस करे। शी जिनपिंग और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी भी मैक्रों की इस 'रणनीतिक स्वायत्तता' का कई मौकों पर समर्थन करती रही है।

ज्वाइंट स्वार्डः ताइवान पर कब्जे का चीनी युद्धाभ्यास
मैक्रों की ये टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है, जब ताइवान से सटे इलाके में चीन उस पर कब्जे के लिए सैन्य अभ्यास करते हुए उसके एयरस्पेस तथा समुद्री क्षेत्र का अतिक्रमण कर रहा है। चीन ने दावा किया है कि अपने इस ज्वाइंट स्वार्ड युद्धाभ्यास के दौरान उसने ताइवान के हवाई क्षेत्र और सामुद्रिक सीमाओं को पूरी तरह बंद कर दिया। यही नहीं, इस दौरान चीन ने ताइवान के सामरिक इलाकों पर वर्चुअल हमले कर उन्हें नष्ट करने का दावा भी किया है।

यूक्रेन युद्ध खत्म कराने के लिए चीनी मदद चाहते हैं मैक्रों

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन के साथ मैक्रों की चीन यात्रा का मकसद यूक्रेन युद्ध खत्म कराने के लिए चीनी नेतृत्व पर दबाव डालना भी था। अपनी यात्रा के दौरान मैक्रों ने जिनपिंग पर दबाव डाला कि वे पुतिन और जेलेंस्की को वार्ता की टेबल पर लाएं। फिलहाल इसके कोई परिणाम मिलते नहीं दिखे हैं।

अमरीका के सातवें बेड़े ने भी दिखाया एक्शन
ताइवान के पास चीन के इस युद्धाभ्यास के दौरान अमरीका ने भी अपना शक्ति प्रदर्शन किया है। अमरीकी नौसेना का सातवां बेड़ा युद्धपोत यूएसएस मिलियस सोमवार को दक्षिणी चीन सागर से गुजरा। अमरीका सेना ने एक बयान जारी कर इसे नेविगेशन की स्वतंत्रता ऑपरेशन का नाम दिया है। अमरीकी सेना ने दावा किया है कि निर्देशित मिसाइलों को गिराने में सक्षम ये 7वें बेड़ा स्प्रैटली द्वीप समूह में मिसचीफ रीफ के पास 12 समुद्री मील के भीतर आ गया था। चीन ने अमरीका के इस कदम की निंदा की है।


फ्रांसीसी राष्ट्रपति के वे बयान जिन पर हो रहा बवाल

1. ताइवान मुद्दे पर समझें चीन का पक्षः ब्रसेल्स को ताइवान मुद्दे पर चीन का पक्ष समझना होगा। यूरोप की एकता, यूरोप की चिंता का विषय है। चीन भी अपनी एकता के लिए चिंतित है और ताइवान उनकी इस एकता के दृष्टिकोण का हिस्सा है।

2. युद्ध अर्थव्यस्था की फिक्र करे यूरोपः इतिहास तेजी से बदल रहा है और यूरोप को भी समान रूप से अपनी युद्ध अर्थव्यवस्था पर जोर देना होगा। अभी यूरोप अपनी सारी रक्षा जरूरतें पूरी नहीं करता। हम इस मामले में अमरीका और एशिया पर निर्भर नहीं रह सकते।

3. रणनीतिक स्वायत्ताः हमें खेमेबंदी में उलझकर अमरीका या चीन का पक्ष नहीं लेना होगा। किसी एक खेमे का हिस्सा बनने के बजाए हमें दुनिया के सामने एक तीसरा यूरोपियन खेमा खड़ा करना होगा। पांच साल पहले, रणनीतिक स्वायत्तता एक सपना था। अब हर कोई इसके बारे में बात कर रहा है। जो समस्याएं हमारी नहीं हैं, उनमें फंस कर यूरोप एक 'बड़ा जोखिम' मोल ले रहा है। यही चीज़ यूरोप को इसकी रणनीतिक स्वायत्तता अपनाने से रोक रही है।



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