रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि रूस ने भारतीय बैंकों में अरबों रुपए जमा कर लिए हैं, जिसका वह उपयोग नहीं कर सकता है।शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के मौके पर लावरोव ने गोवा में संवाददाताओं से कहा, यह एक समस्या है। लावरोव ने कहा, हम इन पैसों का उपयोग करना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए इन रुपयों को दूसरी मुद्रा में स्थानांतरित किया जाना हो, और इस पर अभी चर्चा की जा रही है।
दि्वपक्षीय व्यापार वार्ता निलंबित
दरअसल, भारत और रूस के बीच रुपए में व्यापार को लेकर चल रही बातचीत विफल हो गई है। महीनों तक चली बातचीत के बाद भी भारत रूस को अपने खजाने में भारतीय मुद्रा को रखने पर राजी नहीं कर पाया है। जिसके बाद दि्वपक्षीय व्यापार को रुपए में निपटाने के प्रयासों को निलंबित कर दिया गया है।
भारत का ग्लोबल व्यापार में हिस्सा कम
जानकारों के अनुसार, रूस की दिक्कत ये है कि भारतीय रुपये को पूरी तरह से दूसरे देशों की मुद्रा में नहीं बदला जा सकता है। वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी महज 2 फीसद है जिस कारण अधिकांश देश भारतीय रुपए को अपने पास नहीं रखना चाहते हैं।
जुलाई 2022 में की गई थी घोषणा
भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई 2022 में रुपये में भुगतान तंत्र की घोषणा की थी। इसके बाद से भारत ने रूस से व्यापार के लिए कई बार रुपये में भुगतान किया भी है। इस कारण रूस के बैंकों में भारत के अरबों रुपये पड़े हुए हैं। रूस उस पैसे को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता क्योंकि पश्चिम ने उस पर प्रतिबंध लगाए हैं। ऐसे में उसके बैंकों में पड़े रुपये अपना मूल्य खोते जा रहे हैं। भारत और रूस ने स्थानीय मुद्रा में व्यापार को सुविधाजनक बनाने को लेकर बात की लेकिन दिशानिर्देशों को औपचारिक रूप नहीं दिया गया। भारत रूस से अपने अधिकतर व्यापार के लिए डॉलर के भुगतान करता है। लेकिन अब संयुक्त अरब अमीरात की मुद्रा दिरहम में भी व्यापार के कुछ हिस्से का भुगतान किया जा रहा है।
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