एशिया (Asia) दुनिया का सबसे बड़ा महाद्वीप है। ऐसे में एशिया में पावर यानी कि ऊर्जा की खपत भी सबसे ज़्यादा होना स्वाभाविक है। पावर का इस्तेमाल होने के साथ ही पावर का डाटा भी ज़रूरी है। पर एशिया में अगर पावर के डाटा की स्थिति पर गौर किया जाए, तो स्थिति अच्छी नहीं है। हाल ही में वैश्विक ऊर्जा थिंक टैंक एंबर और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था सुबक ने 'एशिया डाटा ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट 2023' पेश की है। इस रिपोर्ट के अनुसार एशिया के 39 देशों में से 24 देशों में पावर के पर्याप्त डाटा नहीं हैं।
पारदर्शिता पर सवाल
एशिया दुनिया का सबसे बड़ा महाद्वीप तो है ही, साथ ही इसमें दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी भी निवास करती है। धरती की 30% लैंड एशिया की ही है और 8% कुल क्षेत्र भी। ऐसे में इतने बड़े महाद्वीप और इतने सारे देशों के होने के बाद भी पावर के पर्याप्त डाटा नहीं होना पारदर्शिता पर सवाल उठाती है। इतना ही नहीं, खराब डाटा पारदर्शिता एशिया में स्वच्छ ऊर्जा की तरफ बढ़ने की रफ्तार को भी धीमा कर रही है।
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भारत में क्या है स्थिति?
भारत एशिया के सबसे प्रमुख देशों में से एक है। जनसंख्या के मामले में भारत एशिया का ही नहींम दुनिया का भी सबसे बड़ा देश है। कुछ समय पहले ही भारत ने इस मामले में चीन को पीछे छोड़ा है। ऐसे में मन में सवाल आना लाज़िमी है कि जिस देश की जनसंख्या सबसे ज़्यादा है, उस देश में पावर के डाटा की स्थिति कैसी है? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एशिया डाटा ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत में पावर डाटा की पारदर्शिता काफी बेहतर है। भारत में पावर डाटा की पारदर्शिता की बात की जाए, तो यह चीन और जापान जैसे विकसित देशों से काफी बेहतर है।
सुधार की है ज़रूरत
एक्सपर्ट्स का मानना है कि एशिया में पावर के डाटा में पारदर्शिता की स्थिति में सुधर की ज़रूरत है। पावर डाटा की पारदर्शिता में सुधार से ऊर्जा के क्षेत्र में विकास की रफ्तार भी बढ़ेगी।
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