Thursday, April 13, 2023

ईरान में सज़ा-ए-मौत के मामलों में 75% इजाफा, 2022 में आँकड़ा पहुंचा 582

दुनियाभर में जुर्म की सज़ा दी जाती है। पर बहुत ही कम मामलों में किसी जुर्म की सज़ा के तौर पर सज़ा-ए-मौत सुनाई जाती है। सज़ा-ए-मौत के लिए किसी आरोपी का गुनाह बहुत ही बड़ा होना ज़रूरी होता है। पर एक ऐसा भी देश है जहाँ सज़ा-ए-मौत के काफी मामले देखने को मिलते हैं। उस देश का नाम है ईरान (Iran)। ईरान में सज़ा-ए-मौत के काफी मामले देखने को मिलते हैं। इसकी वजह है ईरान का सख्त कानून। ईरान में पिछले कुछ समय में सज़ा-ए-मौत का ट्रेंड बढ़ा है। पिछले साल ईरान में सज़ा-ए-मौत के मामलों में तेज़ी से इजाफा हुआ है।


ईरान में पिछले साल सज़ा-ए-मौत के मामलों में हुआ 75% इजाफा

2022 की बात करें, तो ईरान में सज़ा-ए-मौत के मामलों में तेज़ी से इजाफा हुआ है। पिछले साल ईरान में सज़ा-ए-मौत के मामलों में 75% इजाफा हुआ है। इस बात की जानकारी नॉर्वे बेस्ड ईरान ह्यूमन राइट्स (IHR) और पेरिस बेस्ड टुगेदर अगेन्स्ट द डेथ पेनल्टी (ECPM) नाम के दो ग्रुप्स ने दी है। इन दोनों ग्रुप्स की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल ईरान में 582 लोगों को सज़ा-ए-मौत दी गई। इन सभी को फाँसी पर लटकाया गया। पिछले साल सज़ा-ए-मौत के मामले 2021 में सज़ा-ए-मौत के 333 मामलों से 75% ज़्यादा थे।


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महसा अमीनी की मौत के बाद बढ़े मामले


पिछले साल ईरान में 22 वर्षीय महिला महसा अमीनी (Mahsa Amini) की तेहरान (Tehran) में पुलिस की कैद में मौत हो गई थी, जिसके बाद ईरान में सज़ा-ए-मौत के मामले बढ़ गए। महसा को पुलिस ने सिर्फ इसलिए पकड़ा था क्योंकि उसने हिजाब का विरोध किया था। पुलिस की कैद में महसा की मौत को हत्या बताया गया।

महसा की हत्या के बाद ईरान में हिजाब के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था। महिलाओं के साथ पुरुषों ने भी इन हिजाब विरोधी प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस वजह से ईरान की सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्ती बरतते हुए हज़ारों की तादाद में उन्हें गिरफ्तार किया। इनमें से कई लोगों को सज़ा-ए-मौत दी गई थी। वहीं कई हज़ार लोगों को कई साल की जेल की सज़ा दी गई।

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