यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग को एक साल से भी ज्यादा का समय हो गया है। दोनों देशों के बीच बर्फ पिघलने का नाम नहीं ले रही है। इसी बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने बच्चों के अधिकारों के मामले में पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। वहीं, रूस के शीर्ष अधिकारी इस वारंट को लेकर काफी नाराज बताए जा रहे हैं। उन्होंने इस फैसले को मानने से इनकार करते हुए कहा कि पुतिन के विरोधी इस कदम की सराहना कर रहे हैं।
रूसी प्रवक्ता और विदेश मंत्रालय ने खारिज किया फैसला
रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने इस प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रूस, कई अन्य देशों की तरह, इस अदालत के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है। रूस आईसीसी का सदस्य भी नहीं है, इसलिए कानूनी दृष्टिकोण से, इस अदालत के फैसले शून्य हैं। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा कि आईसीसी के फ़ैसलों का रूस के लिए कोई मतलब नहीं है। उनका कहना है कि रूस अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का पक्षकार नहीं है और रूस का इसके प्रति कोई दायित्व भी नहीं है।
'टॉयलेट पेपर है पुतिन के खिलाफ जारी वारंट'
रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने आईसीसी के फ़ैसले को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने इस वारंट की तुलना टॉयलेट पेपर से की है। वहीं, पुतिन का नाम लिए बिना जखारोवा ने कहा कि जहां तक हमारा संबंध है रूस इस निकाय के साथ सहयोग नहीं करता है और अंतरराष्ट्रीय अदालत से गिरफ्तारी की बात कानूनी रूप से अमान्य होती है।
आईसीसी ने क्यों जारी किया गिरफ्तारी वारंट
आपको बता दें कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने शुक्रवार को यूक्रेन में युद्ध अपराधों के लिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। आईसीसी ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों से रूसी संघ में लोगों (खासकर बच्चों) के अवैध ट्रांसफर के युद्ध अपराध के लिए कथित रूप से जिम्मेदार हैं। इसी तरह के आरोपों पर बच्चों के अधिकारों के लिए रूस की राष्ट्रपति आयुक्त मारिया लावोवा-बेलोवा के खिलाफ भी कोर्ट वारंट जारी किए है।
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