चीन की साझा चुनौती के मद्देनजर दो दिवसीय यात्रा पर भारत पुहंचे जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने सोमवार को एक खुले और मुक्त हिंद-प्रशांत महासागर के लिए एक महात्वाकांक्षी नई योजना की घोषणा की। इस योजना में उद्योग से लेकर आपदा की रोकथाम तक से जुड़े तमाम मुद्दों पर इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं की मदद के लिए 75 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया। जी-20 देशों के अध्यक्ष भारत की राजधानी नई दिल्ली में जी-7 देशों के अध्यक्ष जापान के पीएम द्वारा घोषित इस योजना को चीन की बढ़ती आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ मजबूत साझेदारी के लिए टोक्यो का सबसे मुखर प्रयास माना जा रहा है।
पीएम मोदी को जी-7 शिखर सम्मेलन का आमंत्रण
जी7 देशों के अध्यक्ष के रूप में जापान के प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी को मई माह में हिरोशिमा में होने वाले सात प्रमुख औद्योगिक देशों के समूह के शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया, जिसे पीएम मोदी ने स्वीकार कर लिया। दोनों देश पहली ही हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के दखल को रोकने के लिए क्वाड देशों के सदस्य हैं।
मुक्त हिंद प्रशांत क्षेत्र चार लक्ष्यों के लिए निवेश की घोषणा
किशिदा ने कहा कि 2016 में जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे ने फ्री एंड ओपन इंडो पैसिफिक (एफओआईपी) विजन दिया था। किशिदा ने कहा कि जापान एफओआईपी के लिए सहयोग में विस्तार को देख रहा है। किशिदा ने कहा कि विभाजन और टकराव के बजाय सहयोग की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का नेतृत्व करने के लक्ष्य की ओर यह विजन पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है। किशिदा ने कहा कि नई मुक्त और खुली इंडो-पैसिफिक योजना में चार स्तंभ थे। 1. शांति बनाए रखना। 2. इंडो-पैसिफिक देशों के सहयोग से नए वैश्विक मुद्दों से निपटना। 3. विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से वैश्विक कनेक्टिविटी प्राप्त करना। 4. खुले समुद्र तथा आसमान की सुरक्षा सुनिश्चित करना। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए किशिदा ने निजी निवेश, आधिकारिक सरकारी सहायता, अनुदान और जापानी ऋण के माध्यम से 2030 तक इंडो-पैसिफिक में 75 बिलियन डॉलर के निवेश का वचन दिया।
चीन की साझा चुनौती
जापान और भारत दोनों चीनी आक्रामकता का सामना कर रहे हैं। भारत जहां लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन क्षेत्रीय अखंडता की चुनौती का सामना कर रहा है वहीं पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप पर चीन के दावे को लेकर जापान भी क्षेत्रीय अखंडता और आर्थिक सुरक्षा की चुनीती से दो-चार है। पूरे दक्षिण चीन सागर पर चीन का क्षेत्रीय और सैन्य दावा जापान की चिंता का एक बड़ा कारण है। चीन सागर और हिंद प्रशांत महासागर चीन के व्यापार के लिए बेहद अहम हैं। इस तरह रक्षा क्षेत्र में भारत और जापान के सामने चीन सबसे बड़ी आम चुनौती है।
भारत में सवा तीन लाख करोड़ जापानी निवेश
किशिदा के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में पीएम मोदी ने कहा कि 2021 में हमने अगले 5 साल में हमने 5 ट्रिलियन येन यानी तीन लाख बीस हजार करोड़ रुपए के जापानी निवेश का लक्ष्य रखा था। संतोष की बात है कि इस दिशा में अच्छी प्रगति हुई है।
मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल नेटवर्क के निर्माण में भी तेजी से प्रगति हो रही है। पीएम मोदी ने बताया कि हम 2023 को ईयर ऑफ टूरिज्म एक्सचेंज के रूप में मना रहे हैं। इसके लिए हमने हिमालय को माउंट फूजी से जोड़ने की थीम चुनी है। पीएम ने बताया कि दोनों देशों ने सेमीकंडक्टर और अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में विश्वसनीय सप्लाई-चेन के महत्व पर भी उपयोगी चर्चा की। पीएम ने कहा कि दोनों नेताओं ने जी-7 और जी-20 की अपनी-अपनी अध्यक्षता पर अपनी-अपनी प्राथमिकताओं पर भी चर्चा की।
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