Monday, March 20, 2023

ब्रिटेन में 71% भारतीयों के पास अपना घर, शिक्षा-पेशे में भी अव्वल

ब्रिटेन में 2021 की जनगणना के ताजा आंकड़े भारतीय मूल के लोगों की सफलता की कहानी कह रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन में रह रहे सभी जातीय समूहों में से भारतीय शिक्षा, निज आवास, रोजगार और स्वास्थ्य जैसे पैमानों पर अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में हैं।

ब्रिटिश लोगों से ज्यादा भारतीयों के पास निजी आवास
ब्रिटेन में 2021 की जनगणना के जो परिणाम अब तक जारी किए गए हैं, वो पूरे इंग्लैंड और वेल्स में शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और आवास के पैमानों पर जातीय समूहों के बीच बड़ी असमानताओं का संकेत देते हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार 71% भारतीय मूल के लोगों के पास निजी आवास था, जबकि ब्रिटिश मूल के 68% लोगों के पास घर था। जनगणना के अनुसार 39% बांग्लादेशी ऐसे घरों में रह रहे हैं जिनको ओवरक्राउडिड की तरह देखा जाता है। दूसरी ओर, एफ्रो-कैरिबियन लोगों में सामूहिक किराए के आवास सबसे आम थे।

भारतीय और चीनी सबसे ज्यादा पेशेवर और शिक्षित
भारतीय और चीनी जातीय समूहों के लोगों में समान रूप पेशेवर व्यवसाय (जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक और वकील) के लोगों का उच्चतम प्रतिशत देखा गया। इन दोनों समूहों से 34% लोग खुद को पेशेवर मानते हैं। शिक्षा का सबसे उच्च स्तर भी इन्हीं दोनों जातीय समूह के लोगों में दर्ज किया गया है। लेकिन चीनी लोग यहां भारतीय से कुछ आगे हैं। जहां 56 प्रतिशत चीनियों के पास उच्च शिक्षा थी तो वहीं उच्च शिक्षित भारतीयों का प्रतिशत 52 प्रतिशत ही दर्ज किया गया। इस पैमाने पर अफ्रीकन मूल के लोग तीसरे नंबर पर हैं।

ब्रिटेन के 19 जातीय समूहों में पेशेवर लोग

जातीयता पेशवर आबादी (%)

भारतीय 34
चीनी 34
श्वेत आयरिश 33
अरब 30
पाकिस्तानी 17
बांग्लादेशी 19

ब्रिटेन में एशियाई समुदाय में भारतीय सबसे अधिक, पर ग्रोथ कम
जातीयता आबादी प्रतिशत ग्रोथ (%)
भारतवंशी 18.64 लाख 3.1 (0.6)
पाकिस्तानी 15.87 लाख 2.66 (0.7)
चीनी 3.93 लाख 0.66 (0.7)
श्वेत लोगों की आबादी 4.82 करोड़ 81.7 (-4.3 )

नोटः ब्रिटेन की कुल आबादी 5.95 करोड़ है और आबादी 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।

निरोगी कायाः मिश्रित जातीयता के लोग सबसे सेहतमंद
जनगणना में लोगों के स्वास्थ्य को लेकर भी सवाल पूछे गए थे। इसमें लोगों को अपनी सेहत को बहुत अच्छी से बहुत बुरी के रूप में दर्ज करने को कहा गया था। इसमें कुल 48 प्रतिशत आबादी ने खुद की सेहत को बहुत अच्छी बताया, जबकि 1.2 प्रतिशत ने बहुत बुरी।
जातीयता की दृष्टि से सबसे खराब सेहत बताने वाले लोग श्वेत आयरिश और जिप्सी लोग थे। बांग्लादेशी लोगों ने भी अपनी सेहत को ठीक नहीं बताया। सबसे अच्छी सेहत बताने वाले लोगों में श्वेत और एशियाई समुदाय के मिश्रित जातीयता के लोग रहे। इस समूह के 67 प्रतिशत लोगों ने अपनी सेहत बहुत अच्छी बताई। अफ्रीकन मूल के भी 65 प्रतिशत लोगों ने अपनी सेहत बहुत बढ़िया बताई। 53 प्रतिशत भारतीयों ने भी अपने को खूब तंदुरुस्त बताया। जबकि बहुत बढ़िया सेहत बताने वालों में ब्रिटिश लोगों का प्रतिशत 46 प्रतिशत रहा।

61 प्रतिशत भारतीय वेतन भोगी
बात करें रोजगार की तो, खुद को अन्य श्वेत बताने वाले लोगों में रोजगार का प्रतिशत सबसे अधिक 63 प्रतिशत दर्ज किया गया। श्वेत ब्रिटिश लोगों और श्वेत आयरिश लोगों में रोजगार का प्रतिशत 62 प्रतिशत देखा गया। भारतीयों में रोजगार का प्रतिशत 61 प्रतिशत पाया गया है। जबकि स्वरोजगार के पैमाने पर देखें तो 11 प्रतिशत ब्रिटिश और 10 प्रतिशत भारतीयों ने खुद को स्वरोजगार के रूप में दर्ज कराया।
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं घर या परिवार की देखभाल कर रही हैं और यह अंतर बांग्लादेशी और पाकिस्तानी समूहों के लोगों में सबसे अधिक देखा गया।



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